Kainchi Dham se Amarkantak

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उठाइए भक्ति का धनुष, चढ़ाइए उस पर प्रेम की प्रत्यंचा। निकालिए भाव के तीर और कीजिए तीर की नोक अपने ईश्वर के सामने। अपने ईश्वर का नाम जपते रहिए। भय जाता रहेगा और प्रेम और गहरा होता रहेगा। ध्यान रखिए— 'भक्त के बस में हैं भगवान'।

"कैंची धाम से अमरकंटक" भी 'काशी' की तरह एक अद्भुत आध्यात्मिक यात्रा-वृतांत है — एक ऐसी यात्रा जो केवल स्थानों की नहीं, बल्कि आत्मा की भी है। यह पुस्तक एक साधक की उस खोज की कहानी है, जिसमें वह श्री नीब करौरी बाबा की अनुभूति, उनके संकेतों, शिक्षाओं और लीलाओं के माध्यम से दिव्यता को छूने का प्रयास करता है।  कैंची धाम से शुरू होकर यह यात्रा अमरकंटक तक जाती है — उन मंदिरों से होकर, जिन्हें स्वयं बाबा ने स्थापित किया था; उन पथों से होकर, जहाँ उनकी उपस्थिति अब भी हवा में घुली है; और उन अनुभवों से होकर, जो हर श्रद्धालु के हृदय में कुछ छोड़ जाते हैं।

पुस्तक में न केवल बाबा के वचनों और शिक्षाओं को खोजने का प्रयास है, बल्कि यह भी प्रश्न है — क्या आज के युग में भी वे वचन उतने ही प्रासंगिक हैं? क्या श्रद्धा और प्रेम से भरे इस मार्ग पर चलकर हम भी उस सत्य को पा सकते हैं जिसे बाबा ने जिया?  यह केवल एक यात्रा नहीं, एक आह्वान है — अपने भीतर के मौन से जुड़ने का, और उस दिव्य स्पंदन को सुनने का जो बाबा नीब करौरी के मार्ग से आज भी बहता है।

P. Naveen Kumar (National Bestselling author of Kashi)